- सिरोही जिले के आदिवासी बहुल आबूरोड तहसील समेत जिले भर में पंचायती राज चुनाव की सरगर्मियां जोरों पर
- समर्थकों के साथ प्रत्याशी जगह-जगह कर रहे हैं सभाएं
- आबूरोड में जिला परिषद की 11 नंबर सीट बनी चर्चा का विषय, कांग्रेस की मानी जाती है परम्परागत सीट
- कांग्रेस ने पूर्व यूआईटी अध्यक्ष हरीश चौधरी के सामने भाजपा ने आदिवासी बहुल पंचायतों को देखते हुए अनारक्षित पर एडवोकेट भावाराम गरासिया को उतारा मैदान में
- क्या इस बार के चुनाव परिणाम होंगे चौकाने वाले या पुनः इतिहास दोहराएगा
सिरोही-आबूरोड। सिरोही जिले में पंचायती राज चुनाव को लेकर नामांकन प्रक्रिया के बाद अब चुनावी प्रचार जोरों पर जारी है। गांवों की सरकार बनाने के लिए उम्मीदवार पूरा दमखम दिखा रहे हैं। भाजपा कांग्रेस के साथ ही निर्दलीय उम्मीदवार भी समर्थकों के साथ गांवों में सभाएं कर समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहे हैं। जिला परिषद में 21 सीटों पर एवं आबूरोड पंचायत समिति की 15 सीटों पर चुनाव होंगे। पहले चरण में आबूरोड व रेवदर पंचायत समिति के चुनाव 26 अगस्त को होंगे। आबूरोड तहसील क्षेत्र में जिला परिषद की 3 सीटों पर चुनाव होंगे। इन तीनों सीटों पर भाजपा व कांग्रेस उम्मीदवार में सीधी टक्कर होगी।
सिरोही जिले में पंचायती राज चुनाव को लेकर प्रचार करते कांग्रेस कार्यकर्ता। |
जिला परिषद चुनाव में 21 में से वार्ड संख्या-11 की अनारक्षित सीट जिले भर में चर्चा का विषय बनी हुई है। गत चुनावों में यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार यहां से जितने से इसे कांग्रेस की परंपरागत सीट माना जाता रहा है। इस बार भाजपा ने जनजाति बाहुल्य पंचायतों को देखते हुए एडवोकेट भावाराम गरासिया को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व यूआईटी अध्यक्ष हरीश चौधरी को इस सीट से टिकट दिया है।मूँगथला, धामसरा, क्यारियां, उमरणी, गणका, गिरवर, चनार, चन्डेला, बहादुरपुरा व ओरिया पंचायत क्षेत्र आता है। दोनों ही उम्मीदवार अपने समर्थकों के साथ क्षेत्र का दौरा कर जगह-जगह सभाएं व मतदाताओं से मिलकर समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहे हैं। यहां कांग्रेस प्रत्याशी के प्रचार में निर्दलीय विधायक संयम लोढा गुट के कार्यकर्ता प्रचार में नजर आ रहे हैं। वहीं यहां से पंचायत समिति व जिला परिषद सदस्य के टिकट कटने से नाराज कांग्रेस नेताओं की नाराजगी व आपसी गुटबाजी से निपट पाना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगी।
आखिर कौन करेगा आदिवासी बहुल भाखर क्षेत्र से प्रतिनिधित्व
इसके अलावा आदिवासी बहुल भाखर क्षेत्र की बात करें तो यहां वार्ड-13 में यहां भाजपा ने पूर्व भाखर मंडल अध्यक्ष दशरथ सिंह देवड़ा की पत्नी हंसा कुंवर व कांग्रेस ने निवर्तमान जिला उपाध्यक्ष हीराभाई अग्रवाल की पत्नी रविबाला अग्रवाल को चुनावी मैदान में उतारा है। भाखर क्षेत्र की सभी पंचायतें व आबूरोड से अम्बाजी के बीच की पंचायतें इस निर्वाचन क्षेत्र में आती है।
इतिहास दोहराएगी कांग्रेस या नया भविष्य लिखेगी भाजपा
आबूरोड पंचायत समिति की बात करें तो गत कई चुनावों से कांग्रेस का बोर्ड आबूरोड पंचायत समिति में बनता आया है गत चुनाव में यहां से पूर्व विधायक लालाराम गरासिया प्रधान बने थे। इस बार पुनः लालाराम गरासिया व पूर्व पंचायत समिति सदस्य लीलाराम गरासिया को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा है। प्रधान की सीट जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित होने से कांग्रेस से दोनों ही उम्मीदवार प्रधान के दावेदार भी माने जा रहे हैं। वहीं भाजपा से पंचायत समिति सदस्य के चुनाव में रामलाल रनोरा को मौका दिया गया है। रामलाल वनवासी क्षेत्र में संगठन को मजबूती प्रदान करने को लेकर लंबे समय से कार्यरत है। ऐसे पंचायत समिति में भाजपा का बोर्ड बनने पर प्रधान पद के उम्मीदवार के ततौर पर देखा जा रहा है।
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