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मंगलवार, 9 फ़रवरी 2021

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में जिले के आदिवासी भी निभा रहे अपनी भूमिका, रामकाज में सुदूर पहाडों-जंगलों से मिल रही आर्थिक मदद

 - अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत आदिवासी बहुल भाखर क्षेत्र में 


आबूरोड के आदिवासी बहुल भाखर क्षेत्र के रणोरा गांव में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की जानकारी देते कार्यकर्ता।
आबूरोड के आदिवासी बहुल भाखर क्षेत्र के रणोरा गांव में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की जानकारी देते कार्यकर्ता।


आबूरोड (सिरोही) 

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए देशभर में चलाए जा रहे निधि संग्रहण अभियान के तहत कई बड़ी हस्तियां मंदिर निर्माण के लिए बड़ी राशि भेंट कर रही है, लेकिन जिले के आबूरोड तहसील में ठेठ पहाडिय़ों व दूरस्थ जंगलों के बीच बसे आदिवासी बहुल भाखर क्षेत्र में आदिवासी परिवार भी मंदिर निर्माण को लेकर चलाए जा रहे अभियान में स्वेच्छा से सहयोग कर रहे हैं। यहां के गरासिया जनजाति के परिवार प्रमुख रूप से जीवनयापन के लिए मजदूरी व काश्तकारी पर निर्भर है। मोबाइल नेटवर्क से दूर यहां के कई गांव में जैसे-जैसे अयोध्या में प्रभु राम का मंदिर बनने की जानकारी ग्रामीणों को मिल रही है, वैसे वैसे अपनी क्षमता के अनुसार सहयोग किया जा रहा है। 


आबूरोड के आदिवासी बहुल क्षेत्र में अयोध्या राम मंदिर निर्माण की जानकारी देते कार्यकर्ता।



आदिवासी बहुल भाखर क्षेत्र में राम मंदिर निर्माण निजी संग्रह कार्यक्रम के तहत आरएसएस व उनके सहयोगी संगठनों की ओर से चलाए जा रहे अभियान के तहत दूरस्थ गांवों व जंगलों के बीच बसी फलियों में पहुंचकर आदिवासी परिवारों से जनसंपर्क कर सहयोग जुटाया जा रहा है। भाखर क्षेत्र के गांवो में रणोरा के रामलाल गरासिया, लोटाणा के प्रभुराम गरासिया, मोरडू के रमेश कुमार गरासिया व लोकेश पुरोहित ने सुदूर पब पंचायत क्षेत्र में सम्पर्क किया। कार्य में तहसील के अन्य गांवों में खंड संयोजक राकेश व्यास व नरपतसिंह ने विभिन्न गांवों में बैठक ली। 


जिले के आदिवासी बहुल सियावा गांव में राम मंदिर के लिए चलाया जा रहा निधि संग्रह अभियान।



जनजाति का भगवान राम से ये पुराना नाता 

का भगवान राम से पुराना नाता है। लम्बे समय से यहां लोग एक दूसरे से मिलने पर पारम्परिक तरीके से 'रोम-रोम' कहकर ही अभिवादन करते हैं। अधिकांश जनजाति पुरुषों के नाम के बाद भी 'राम' शब्द जोडकऱ नाम रखा जाता है। क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व वनवासी कल्याण परिषद् के आदिवासी समुदाय से जुड़े कार्यकर्ता टोलियां बनाकर आदिवासी परिवारों को अयोध्या में प्रभु श्री राम के मंदिर निर्माण की जानकारी स्थानीय भाषा में दे रहे हैं। यह जानकार आदिवासी भी उत्साहित दिखाई दे रहे हैं। ऐसा ही एक विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें रणोरा गांव में कार्यकर्ता प्रभुराम गरासिया व अन्य आदिवासी महिलाओं को स्थानीय भाषा में राम मंदिर निर्माण की पूरी कहानी बयां कर रहे हैं। 





कूपन-रसीद से रखा जा रहा पूरा हिसाब किताब 


श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र समिति के जिला प्रचार प्रमुख अशोक चतुर्वेदी ने बताया कि आबूरोड कि 12 बस्तियों व ग्रामीण क्षेत्रों में 200 से अधिक कार्यकताओं का सहयोग मिल रहा है। उन्होंने बताया कि आबूरोड की 12 बस्तियों के प्रत्येक घर में जाना तय किया गया है। दान के साथ ही 10, 100 व 1000 के छपे हुए कूपन दिए जा रहे हैं। 2100 रुपए से अधिक पर रसीद दी जारही है। इस सारे कार्य की देखरेख व हिसाब किताब की बहुत ही सावधानी से कार्य किया जा रहा है। यह अभियान 15 जनवरी से 16 फरवरी तक चलेगा।

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