- किवंदतियों के अनुसार ऋषिकेश मंदिर की स्थापना स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने की थी
राजस्थान के सिरोही जिले के सबसे बड़े शहर आबूरोड से करीब तीन किलोमीटर दूर अरावली की पहाडिय़ों के बीच उमरनी ग्राम पंचायत क्षेत्र में प्राचीन ऋषिकेश मंदिर जिले व सम्भवत: प्रदेश के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। भगवान विष्णु का यह मंदिर सिरोही जिले के इतिहास की अमूल्य धरोहर है।
किवंदतियों के अनुसार मंदिर की स्थापना स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने की थी। प्राचीन काल में अमरावती नगरी के नाम से प्रसिद्ध ये स्थान ऋषि मुनियों की तपस्थली थी। अमरावती के राजा अमरीश भगवान विष्णु के परमभक्त थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने साक्षात चतुर्भुज स्वरूप में उन्हें दर्शन दिए थे। पूरे देश में भगवान विष्णु के इस स्वरूप की मूर्ति के दर्शन केवल यहां मिलते है। भगवान विष्णु के इस धाम के दर्शन का फल चारों धाम की यात्रा के बराबर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा अमरीश 68 सफल अश्वमेघ यज्ञ करवाने में सफल हुए थे। यदि राजा 100 यज्ञ करवाने में सफल होने पर उन्हें इंद्र का दर्जा मिल जाता। राजा अमरीश के इन यज्ञ को विफल करने के लिए भगवान इंद्र ने उनके तप को रोकने की कोशिश की थी। वज्र से प्रहार करते हुए एक शिला फेंकी। जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने अपने हाथों से उस समय रोक लिया, जब वे द्वारिका जा रहे थे। इष्टदेव के रक्षा करने पर राजा अमरीश ने भगवान से उनके उसी रूप में यहां विराजमान होने की मनोकामना की, जिस स्वरूप में उन्होंने दर्शन दिए थे। जिसे स्वीकार करते हुए भगवान ने उनके उसी स्वरूप को यहां विराजमान करने का आशीर्वाद दिया। पास स्थित मां भद्रकाली मंदिर राजा अमरीश की कुल देवी है। मंदिर के सामने अश्वमेघ यज्ञ कुंड है। मंदिर के पास स्थित पहाड़ी पर चट्टान है जहां राजा अमरीश ने यज्ञ किया था। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा के चारों तरफ भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की प्रतिमाएं है। महाभारतकालीन कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका नगरी जाते समय सबसे पहले यहीं विश्राम किया था। जिस स्थान पर मंदिर की स्थापना की गई वर्तमान में वह ऋषिकेश मंदिर कहलाता है। भगवान श्रीकृष्ण की बसाई द्वारकानगरी से पहले स्थापित इस मंदिर को आदिद्वारका भी कहा जाता है।
दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
ऋषिकेश मंदिर में एकादशी को अधिक संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। मंदिर के आसपास का इलाका अरावली की पहाडिय़ों से घिरा हुआ है। जहां मानसून में झरने पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहते हैं।
देवझूलनी एकादशी पर भरता है मेला, आदिवासी करते हैं तर्पण
मंदिर में हर वर्ष देवझूलनी एकादशी पर प्राचीन ऋषिकेश मंदिर पर मेला भरता है, जिसमें आदिवासी परिवार पूर्व संध्या पर पूर्वजों के तर्पण करने के साथ रातभर धार्मिक अनुष्ठान होते है। प्राचीन मंदिर राज्य समेत गुजरात से भी श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
Jay Shree Krishna 💐💐🙏💐💐👏👏👏
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