आबूरोड @ अर्बुदांचल. जन चेतना संस्थान द्वारा जिले में बाल विवाह की रोकथाम को लेकर बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत पांच ब्लॉक में जागरूकता मार्च निकाला गया. अलग-अलग जगहों पर हुए कार्यक्रम में हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया. संस्था द्वारा जिले में पिछले डेढ़ साल में 165 बाल विवाह रुकवाने वाले में भूमिका निभाई है.
जन चेतना संस्थान की निदेशिका ऋचा ने बताया कि इस अभियान से बाल विवाह के खात्मे की लड़ाई को मिलेगी गति. रैली में बाल विवाह पीड़िताओं, सरकारी अफसरों, पंचायत प्रतिनिधियों व शिक्षकों सहित बड़ी संख्या में शामिल आम लोगों ने बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली. साथ ही विवाह संपन्न कराने वाले पंडितों व मौलवियों समेत धार्मिक नेताओं हलवाइयों, बैंड-बाजा वालों समेत सभी हितधारकों ने अभियान का समर्थन किया. जन चेतना संस्थान बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए काम कर रहे 250 से भी ज्यादा गैर सरकारी संगठनों के गठबंधन जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन का सहयोगी संगठन है. भारत सरकार के बाल विवाह मुक्त भारत के आह्वान के समर्थन में संस्थान ने सिरोही जिले के पांचो ब्लाकों में बाल विवाह के खिलाफ 82 जागरूकता व शपथ ग्रहण कार्यक्रमों का आयोजन किया. जिसमें समाज के हर तबके के लोग शामिल हुए. इस दौरान मशाल जुलूस और कैंडल मार्च में बाल विवाह पीड़िताओं, महिलाओं, बच्चों व पुरुषों सहित 3850 लोगों ने बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली और जागरूकता के प्रसार के लिए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी निभाई. इस दौरान पुरोहितों, मौलवियों, हलवाइयों, रसोइयों, सजावट, बैंड बाजा वालों व शादी का कार्ड छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस के मालिकों जैसे विवाह से जुड़े सभी हितधारकों ने शपथ ली कि वे बाल विवाह संपन्न कराने में किसी भी तरह से भागीदारी नहीं करेंगे और इसकी सूचना तत्काल संबंधित अधिकारियों को देंगे.
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| बाल विवाह मुक्त भारत अभियान |
अब तक रुकवाए 92 बाल विवाह
जन चेतना संस्थान द्वारा स्थानीय प्रशासन के साथ सहयोग व समन्वय से कानूनी हस्तक्षेपों और परिवारों एवं समुदायों से समझाइश कर 2023-24 में जिले में 92 बाल विवाह रुकवाए हैं. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी द्वारा शुरू किए गए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान का पुरजोर समर्थन करते हुए जन चेतना संस्थान की निदेशिका सुश्री ऋचा ने कहा कि यह अभियान हमारे विकसित भारत के सपने को पूरा करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है. देश की बच्चियों को शिक्षित, सशक्त और आत्मनिर्भर बनाए बिना हम इस सपने को पूरा नहीं कर सकते और बाल विवाह इसमें सबसे बड़ी बाधा है. बाल विवाह की रोकथाम के लिए सभी पक्षों को साथ लेकर चलने और बचाव-संरक्षण और अभियोजन नीति पर अमल के मंत्रालय के इस फैसले का हम स्वागत करते हैं.
समस्या को जड़ से खत्म करना जरूरी
इस राष्ट्रव्यापी अभियान का समर्थन करते हुए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा कि हमने जब यह अभियान शुरू किया था, तो यह समस्या को उसकी जड़ से मिटाने के लिए बाल विवाह की ऊंची दर वाले राज्यों पर केंद्रित एक लक्षित प्रयास था. एक सुविचारित दृष्टि और रणनीति के साथ शुरू हुआ यह अभियान अब राष्ट्रव्यापी शक्ल ले चुका है और आज देश सदियों से देश में जड़ें जमाए बैठी इस कुप्रथा के खात्मे के लिए एकजुट है. जिसने भी भारत की बेटियों की पुकार सुनीए उनकी आवाज उठाई और बाल विवाह मुक्त भविष्य के सपने की ओर बढ़ने में मदद की. जन चेतना संस्थान और 250 से भी ज्यादा गैर सरकारी संगठनों के देशव्यापी गठबंधन जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी)का सहयोगी संगठन है, जो देश में बाल सुरक्षा तंत्र को मजबूती प्रदान करने व बाल अधिकारों के सुरक्षा व संरक्षण के प्रोत्साहन के लिए कार्य कर रहे हैं.
बाल विवाह पीडि़ता ने की अपील
कार्यक्रम में मौजूद एक बाल विवाह पीड़िता आरती (बदला हुआ नाम) ने इस अपराध के खात्मे के लिए सरकार के संकल्प पर संतोष जताते हुए इस मौके पर कहा कि वह भाग्यशाली थी कि उसकी शादी सही समय पर रोक दी गई, लेकिन कड़वा सच यह है कि आज भी समाज की अनदेखी के कारण कई नाबालिग लड़कियों को बाल विवाह के दलदल में झोंक दिया जाता है. निश्चित रूप से समाज की मानसिकता में सुधार हुआ है, लेकिन अब सरकार का यह अभियान इस बदलाव को और गति देगा. जिससे आने वाले वर्षों में बाल विवाह हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा.



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